परिश्रम, सद्द्विचार, संघर्ष, सकारात्मक विचार या बद्दल प्रेरणा देणाऱ्या कथा आहेत यात.
मला हे पुस्तक फार आवडलं नाही. कथा खूपच बाळबोध वाटल्या. एक दोन पानात लघुकथा/ प्रसंग दिले आहेत त्यामुळे त्या कथांमधलं नाट्य, कंगोरे जाणवत नाही. आशय जो कथा वाचायच्या आधीच कळलेला असतो. पण तो मनाला पुन्हा भिडत नाही.
-------------------------------------------------------------------------------------
मी दिलेली पुस्तक श्रेणी :- जवा ( जमल्यास वाचा )
-------------------------------------------------------------------------------------
-------------------------------------------------------------------------------------
आवा ( आवर्जून वाचा )
जवा ( जमल्यास वाचा )
वाठीनावाठी ( वाचलं तर ठीक नाही वाचलं तरी ठीक )
नावाठी ( नाही वाचलं तरी ठीक )
-------------------------------------------------------------------------------------
No comments:
Post a Comment